अनुकूलन : परिवर्तन के इस समय में नेतृत्व करनेवालोके लिए एक घोषणा पत्र
“वो प्रजातियाँ नहीं हमेशा जीवित रहेती जो सबसे शक्तिमान है, ना ही वो जो सबसे बुद्धिमान है, बल्कि वो प्रजातियाँ जो सबसे अनुकूलनीय है।”
ये कहावत जो चाकिस डविन से कही मानी जाती है, आपने सुनी होगी। उन्होंने ये कभी नहीं कहा। मानाकी ये शब्द डारविन के काम से प्रेरित है लेकिन असलियतमे एक बिज़्नेस प्रफ़ेसर लिवान सी मेगिनसन के कहे हुए है। एक बिज़्नेस एक्स्पर्ट इने शब्दोंका कहना एक बायआलॉजिस्ट के कहने से ज़्यादा योग्य बनता है। विशेष रूप से जब नेताओसे अथक परिवर्तनके इस समयमे प्रासंगिकता और लचिलेपनकी अपेक्षा की जाती है।
यह ऐलान उन सब नेतृत्व करने वानो के किए है – नवप्रवर्तक, विघटनकारी, भविष्यवादी, परिवर्तन प्रब्बंधक – वो लोग जो आधुनिकीकरण और विकास के साथ काम करते है। जो बहतर संघटनोका निर्माण कर रहे है, और दूसरोंको उनकी परिवर्तनयात्रामे मदद कर रहे है।
हमारे काममें हमने अनुभव किया है की जब संघठन आगें बढ़ते है – चाहे सिर्फ़ जीवित रहने के लिए या फिर कुछ नया करने के लिए, सिर्फ़ एक विशेषता है जो निरंतर सफलतासे जुड़ी हुई है: संघठनकी विश्वसनीयता और अक्सर बदलते वातावरणमें अनुकूल रहनेकी क्षमता। यह सूचनायुगमें उतनाही सच है जितना औद्योगिक युगमें था।
आनेवाले कलकी इम्ताहनोकी सबसे अच्छी तैयारी के लिए हम - जिंनपर परिवर्तनके नेतृत्वकी ज़िम्मेदारियाँ है – वो जो व्यवसायों सीमाओं के पार मूल्योसे बंधना चाहते है।
इन मूल्यों में शामिल है:
लोग और संस्कृती, उपकरण और तकनिककी जगह
रोज़मज़ाका अनुकूलन, सिर्फ़ एक बार के बदलावकी जगह
क्रमागत उन्नति, क्रांतिकारी विघटनकी जगह
लचिलापन, कटोर योजनाकी जगह
महत्वपूर्ण वैचारिक क्रिया, अंतहीन विश्लेषणकी जगह
सहयोग और समावेश, प्रतियोगिता और बहिष्कार की जगह
जिज्ञासा, निश्चितता की जगह
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